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इश्क तेरा उधार सा लगता है

बरसो बाद लौटा हूं तेरे शहर, रुक सी गई ज़िंदगी के वो पल, एक एक कर वो मीठी यादों ने ने घेर लिया मुझे, याद आ गए वो बीते हमारे सुनहरे पल, इश्क हुआ था तुमसे ना जाने किस मोड़ पे या बेवकूफी थी मेरी ज़िन्दगी की उस छोर पे, वो कॉलेज की यादें अब भी मुझे याद आते है ना जाने भूल गए तुम उसे किस मोड़ पे भूल ही हुई होगी शायद मुझसे ही कहीं जो ये अनकही आंखों की शरारत को हम प्यार समझ बैठे होठों की उस मुस्कुराहट को हम तेरा इकरार समझ बैठे माना कभी कहा नहीं तूने होठों से कभी पर तेरे उन इशारों को हम तेरा प्यार का इजहार समझ बैठे तेरे मेरा रिश्ता अब ये किसी मझधार से लगता है तू मेरा है नहीं किसी और का इकरार सा लगता है फिर भी कमबख्त दिल ना जाने क्यों बेजार लगता है यादों का ऋण में तेरा ये दिल आज उधार सा लगता है मेरे दिल के हर पन्ने का आज भी तू जमींदार सा लगता है आज भी तेरे यादों का दिल में एक बाजार सा लगता है तेरा वो एहसास मेरे दिल तोड़ने का हथियार सा लगता है तेरे दिल में झांक के ना देखा यही शायद भूल था मेरा इसलिए आज तू किसी के प्यार का इजहार सा लगता है फिर भी मेरे दिल में तेरे यादों का ...

My lady my inspiration

she is the lady of thought of mine, she makes me feel like at cloud nine. she is amazing and beautiful than a flower or tree, she looks like a beautiful soul of divine. she is prettier than that i see, which makes my time slip like a beautiful dream. she is gorgeous and shinning throughout the day, which makes my heart pump up whole day long. her voice is Melody that i heard, which makes me happy whole day long. its now hard to imagine me without you, you are like a morning dream that came true.

एक स्वांद

ये क्या बचपन और जवानी का क्या संवाद हुआ, मानो दो समय का आपस में गहरा विवाद हुआ, छिर गए दोनों युद्ध पटल पे,फिर एक भीषण हुंकार हुआ, दोनों अहम में यूं टकराए मानो एक भीषण द्वंद का विस्तार हुआ, छाई करुधित लालिमा नभ में मानो अग्नि का विस्तृत संचार हुआ। जवानी बोली अहम स्वर में जवानी मस्त मलंग, यूं चलूं जैसे कोई भवर, हर फूल का रस ले लेकर अाई देखो मै कैसी निखर, ना रोक टोक भाए इस मन को,उरू नभ में जैसे कोई नभ्चर, बेकरारी है इस तन को, मन अब कोतूहल का बाज़ार हुआ रुक आकलन करने से ना जाने मन क्यूं बेजार हुआ मकसद है जो मन को पूरा करने का विचार हुआ भाए ना बंदिशों की बेरियान हौसलों से अब ये आभास हुआ पंख लिए इस मन को अब ना रुकने का आभास हुआ देख जवानी के अहम अपार बचपन कर गई सारी सीमा पार, बोली ऊंचे स्वर में बचपन देख जवानी तेरी रीत अपार, खो चुकी तू बचपन का प्यार मा का प्यार पापा की मार खो चुकी अब इसे तू यार दोस्तों के  संग खेलना-खाना, भाई बहन का वो मीठा प्यार मिल ना पाए तुझे अब इस संसार किस्सो कहानियों में दिन ढल जाना थक हार मा की गोद में सो जाना क्या मिल जाएगी तुझे अब इस बार ...

शंभु तेरे संग

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मै चला इन राहों पे , खोके खुद का संग, छाई है आवारगी मुझपे,होगया है बंजारा सा मन, देख तेरी खोज भटके कहां कहां ये मन, रंग दे तू आज भोले मुझको अपने रंग, झूम जाऊं में आज शंभु तेरे धुन पे, देख हो जाऊं मै मलंग....... देख कितने घाव दिए है इस ज़माने के रंग, भूल जाऊं में आज शंभु पी के तेरा भंग, भर दे मेरे घाव सारे बन जा तू मेरा मरहम, साथ मेरे चल तू चल आज जो भूल जाऊं सारे गम, देख तेरा साथ पाके हो जाऊं मै मलंग.... चंद्रशेखर तेरी चांदनी भटकूं कितने वन, साथ दे तू आज मेरा रम जाऊं मै तेरे रंग, नवचेतना जाग जाए अब मन में जब मिले तेरा संग, भूल जाऊं मै आज सब कुछ शम्भु हो जाऊं एकरंग, देख तेरी चांदनी में नाचूं खो के खुद का संग, हो जाऊं मै इस रोशनी में मलंग........ देख भोले सूखा है ये दिल की नदी जागी कैसी प्यास है, दिल के इस रैत को बस तेरी बूंद की बस आस है, रोक ले मुझे मिटने से इस तूफान में बस तू ही बन जा मेरा धर्म, फैले इस डर के धुएं में तू ही बस एक आशीर्वाद है, नाम तेरा मै जपते जपते मिट जाएं सारे ये भ्रम, नाचूं आज फिर मै होके मलंग.....

Khone se darta hun

खोने से डरता हूं मैं तुझे ये कैसे समझाऊं प्यार करता हूं मै तुझे मै ये कितना ये कैसे समझाऊं हां नहीं तेरा भाई मै जो हर मुश्किल से  पहले टकरा जाऊं पर प्यार करता हूं तुझे इतना की तेरी हर मुश्किल में हर हाल में साथ निभा जाऊं हां नहीं में तेरा पिता जो तेरी बातें बिन बोलें समझ जाऊं पर तेरी हर दर्द में तुझे ज्यादा नीर बहा जाऊं कैसे बताऊं की तुझे मै खोने से कितना डरता हूं कैसे बताऊं की में तुझसे कितना प्यार करता हूं पिता तो नहीं में तेरा की तेरी एक ख्वाहिश ज़माने में भीड़ जाता हूं, हां इतना प्राथना हर समय करता हूं ईश्वर से की  तेरी मुश्किल का में हल बन जाऊं प्यार करता हूं में कितना तुझसे ये कैसे बताऊं, तेरी गलती के बावजूद भी में दुनियां से तेरे लिए भिर जाऊं अब क्या कहूं में तुझे प्यार कितना करता हूं में खुद को इस प्यार के लिए भी खुद को तेरे पीछे रखता हूं कैसे में अब बताऊं की तुझे खोने से अब मै कितना डरता हूं।

एक दूजे के वास्ते

एक दूजे के वास्ते चले थे मीलों मील वो रास्ते। कभी धूप में तो कहीं आंधीयों खड़े थे एक दूजे के वास्ते। बने थे सहारा एक दूजे के लिए उन राहों पे जहां कोई ना थे हमारे वास्ते। हुई थी वो क्या खता जो छोर गए मुझे बेवजह उन राहों पे आखिर किसके वास्ते। होठों पे अब भी तेरी उन शामों का शोर है। निगाहएं अब भी खोंजे मुझे हर ओर है। क्यूं है दबी हुई तेरी वो बातें, छाई हुई है मायूसी हर ओर है। खोल दे दिल के वो दर्द तेरे फिर से एक दूजे के वास्ते। जो है मिलें लम्हे कहीं छूट ना जाएं कहीं इस ख़ामोशी के वास्ते। बोल दे जो आज दर्द है आंखों के रास्ते, बेह जाने दे आज गमों को आंखों के रास्ते। मिल जाने वो दिल जो कभी धरके थे एक दूजे के वास्ते।

pehla panna

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kai baar khayal aaya ek kitab lihun me khudpe, smjh bus itna nahi aaya ki phela panna nam karun mai kispe, zindgi me dost ne bhi utne diye jitne dushman ne, kya kahun ek ne chain ke sapne diye to dusre ne pura karne ki hasratein, smjh bus itna nahi aaya ki phela panna naam karun mai kispe, dost agar na hote mai ruk jata kahin un rahon pe, dost agar na hote kho jata mai un rahon pe , ye dost hi hai jo mai khara hun en aali pae, na jaane kitne aur kab kandhe diye un rahon pe, sukr karun mai unka kaise jinki wajah se bana hun, dekh mere ae dost aaj mai khaan khara hun. sukriya karun mai unka jinhone rulaya us raat ko, sukriya karun mai unka jinhone milaya mujhse mujhko us raat ko, kaise karun mai tera sukriya bta dena ae mukhalif mujhe, jisne rait ke pathar ko bhi almaas bna diya tune। sawal abhi wahi hai pehla panna naam karun mai kispe, ae dost aur mukhalif ab to bta de ab ye jaam kiske naam karun aur kaise.