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Showing posts from March, 2020

इश्क तेरा उधार सा लगता है

बरसो बाद लौटा हूं तेरे शहर, रुक सी गई ज़िंदगी के वो पल, एक एक कर वो मीठी यादों ने ने घेर लिया मुझे, याद आ गए वो बीते हमारे सुनहरे पल, इश्क हुआ था तुमसे ना जाने किस मोड़ पे या बेवकूफी थी मेरी ज़िन्दगी की उस छोर पे, वो कॉलेज की यादें अब भी मुझे याद आते है ना जाने भूल गए तुम उसे किस मोड़ पे भूल ही हुई होगी शायद मुझसे ही कहीं जो ये अनकही आंखों की शरारत को हम प्यार समझ बैठे होठों की उस मुस्कुराहट को हम तेरा इकरार समझ बैठे माना कभी कहा नहीं तूने होठों से कभी पर तेरे उन इशारों को हम तेरा प्यार का इजहार समझ बैठे तेरे मेरा रिश्ता अब ये किसी मझधार से लगता है तू मेरा है नहीं किसी और का इकरार सा लगता है फिर भी कमबख्त दिल ना जाने क्यों बेजार लगता है यादों का ऋण में तेरा ये दिल आज उधार सा लगता है मेरे दिल के हर पन्ने का आज भी तू जमींदार सा लगता है आज भी तेरे यादों का दिल में एक बाजार सा लगता है तेरा वो एहसास मेरे दिल तोड़ने का हथियार सा लगता है तेरे दिल में झांक के ना देखा यही शायद भूल था मेरा इसलिए आज तू किसी के प्यार का इजहार सा लगता है फिर भी मेरे दिल में तेरे यादों का

My lady my inspiration

she is the lady of thought of mine, she makes me feel like at cloud nine. she is amazing and beautiful than a flower or tree, she looks like a beautiful soul of divine. she is prettier than that i see, which makes my time slip like a beautiful dream. she is gorgeous and shinning throughout the day, which makes my heart pump up whole day long. her voice is Melody that i heard, which makes me happy whole day long. its now hard to imagine me without you, you are like a morning dream that came true.

एक स्वांद

ये क्या बचपन और जवानी का क्या संवाद हुआ, मानो दो समय का आपस में गहरा विवाद हुआ, छिर गए दोनों युद्ध पटल पे,फिर एक भीषण हुंकार हुआ, दोनों अहम में यूं टकराए मानो एक भीषण द्वंद का विस्तार हुआ, छाई करुधित लालिमा नभ में मानो अग्नि का विस्तृत संचार हुआ। जवानी बोली अहम स्वर में जवानी मस्त मलंग, यूं चलूं जैसे कोई भवर, हर फूल का रस ले लेकर अाई देखो मै कैसी निखर, ना रोक टोक भाए इस मन को,उरू नभ में जैसे कोई नभ्चर, बेकरारी है इस तन को, मन अब कोतूहल का बाज़ार हुआ रुक आकलन करने से ना जाने मन क्यूं बेजार हुआ मकसद है जो मन को पूरा करने का विचार हुआ भाए ना बंदिशों की बेरियान हौसलों से अब ये आभास हुआ पंख लिए इस मन को अब ना रुकने का आभास हुआ देख जवानी के अहम अपार बचपन कर गई सारी सीमा पार, बोली ऊंचे स्वर में बचपन देख जवानी तेरी रीत अपार, खो चुकी तू बचपन का प्यार मा का प्यार पापा की मार खो चुकी अब इसे तू यार दोस्तों के  संग खेलना-खाना, भाई बहन का वो मीठा प्यार मिल ना पाए तुझे अब इस संसार किस्सो कहानियों में दिन ढल जाना थक हार मा की गोद में सो जाना क्या मिल जाएगी तुझे अब इस बार काग़