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एक दूजे के वास्ते

एक दूजे के वास्ते चले थे मीलों मील वो रास्ते। कभी धूप में तो कहीं आंधीयों खड़े थे एक दूजे के वास्ते। बने थे सहारा एक दूजे के लिए उन राहों पे जहां कोई ना थे हमारे वास्ते। हुई थी वो क्या खता जो छोर गए मुझे बेवजह उन राहों पे आखिर किसके वास्ते। होठों पे अब भी तेरी उन शामों का शोर है। निगाहएं अब भी खोंजे मुझे हर ओर है। क्यूं है दबी हुई तेरी वो बातें, छाई हुई है मायूसी हर ओर है। खोल दे दिल के वो दर्द तेरे फिर से एक दूजे के वास्ते। जो है मिलें लम्हे कहीं छूट ना जाएं कहीं इस ख़ामोशी के वास्ते। बोल दे जो आज दर्द है आंखों के रास्ते, बेह जाने दे आज गमों को आंखों के रास्ते। मिल जाने वो दिल जो कभी धरके थे एक दूजे के वास्ते।