इश्क तेरा उधार सा लगता है

बरसो बाद लौटा हूं तेरे शहर,
रुक सी गई ज़िंदगी के वो पल,
एक एक कर वो मीठी यादों ने ने घेर लिया मुझे,
याद आ गए वो बीते हमारे सुनहरे पल,

इश्क हुआ था तुमसे ना जाने किस मोड़ पे
या बेवकूफी थी मेरी ज़िन्दगी की उस छोर पे,
वो कॉलेज की यादें अब भी मुझे याद आते है
ना जाने भूल गए तुम उसे किस मोड़ पे

भूल ही हुई होगी शायद मुझसे ही कहीं
जो ये अनकही आंखों की शरारत को हम प्यार समझ बैठे
होठों की उस मुस्कुराहट को हम तेरा इकरार समझ बैठे
माना कभी कहा नहीं तूने होठों से कभी
पर तेरे उन इशारों को हम तेरा प्यार का इजहार समझ बैठे

तेरे मेरा रिश्ता अब ये किसी मझधार से लगता है
तू मेरा है नहीं किसी और का इकरार सा लगता है
फिर भी कमबख्त दिल ना जाने क्यों बेजार लगता है
यादों का ऋण में तेरा ये दिल आज उधार सा लगता है
मेरे दिल के हर पन्ने का आज भी तू जमींदार सा लगता है

आज भी तेरे यादों का दिल में एक बाजार सा लगता है
तेरा वो एहसास मेरे दिल तोड़ने का हथियार सा लगता है
तेरे दिल में झांक के ना देखा यही शायद भूल था मेरा
इसलिए आज तू किसी के प्यार का इजहार सा लगता है
फिर भी मेरे दिल में तेरे यादों का बाजार सा लगता है
इश्क तेरा अब ये किसी उधार सा लगता है







Comments

Popular posts from this blog

Mom's

Mai kaun thi ye mai Jani nahi

Donating it with love