शंभु तेरे संग


मै चला इन राहों पे , खोके खुद का संग,
छाई है आवारगी मुझपे,होगया है बंजारा सा मन,
देख तेरी खोज भटके कहां कहां ये मन,
रंग दे तू आज भोले मुझको अपने रंग,
झूम जाऊं में आज शंभु तेरे धुन पे,
देख हो जाऊं मै मलंग.......

देख कितने घाव दिए है इस ज़माने के रंग,
भूल जाऊं में आज शंभु पी के तेरा भंग,
भर दे मेरे घाव सारे बन जा तू मेरा मरहम,
साथ मेरे चल तू चल आज जो भूल जाऊं सारे गम,
देख तेरा साथ पाके हो जाऊं मै मलंग....

चंद्रशेखर तेरी चांदनी भटकूं कितने वन,
साथ दे तू आज मेरा रम जाऊं मै तेरे रंग,
नवचेतना जाग जाए अब मन में जब मिले तेरा संग,
भूल जाऊं मै आज सब कुछ शम्भु हो जाऊं एकरंग,
देख तेरी चांदनी में नाचूं खो के खुद का संग,
हो जाऊं मै इस रोशनी में मलंग........

देख भोले सूखा है ये दिल की नदी जागी कैसी प्यास है,
दिल के इस रैत को बस तेरी बूंद की बस आस है,
रोक ले मुझे मिटने से इस तूफान में बस तू ही बन जा मेरा धर्म,
फैले इस डर के धुएं में तू ही बस एक आशीर्वाद है,
नाम तेरा मै जपते जपते मिट जाएं सारे ये भ्रम,
नाचूं आज फिर मै होके मलंग.....

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