वजूद कुछ अनकही

कुछ मै अनकहा कुछ तू अनकही
तेरे मेरे बीच की है ये बात अनकही
आज तू भी है सफर में आज मै भी हूं सफर में
इस सफर की मंज़िल है कुछ अनकही

खोजे तू भी खुद को खोजें में खुद को सफर में
आज भी हमारी पहचान है कुछ अनकही
चल रहे है हम इस अंध सफर में
इस सफर की पहचान है अनकही

ना रास्तों की खबर है ना मंज़िल के कुछ निशान
ना जाने इस सफर की धारा है कुछ अनकही
कुछ मर्ज़ी थी अपनी कुछ मर्ज़ी थी सबकी
फिर भी ना जाने ये दास्तान हमारी है कुछ अनकही

दबे है  इतने रिश्तों के बोझ में की
हमारे अरमान है कुछ अनकही
चल रहे है बस एं अंध राहों मै
क्योंकी हमारे वजूद की विश्वास है कुछ अनकही







    

Comments

Popular posts from this blog

Just dominating

Split

Third round